मेहनत ऐसा बल है जिसके दम पर किसी भी परिस्थिति में सफलता पाई जा सकती है. जेईई मेंस की कठिन परीक्षा को पास करने के लिए छात्र जी-जान लगा देते हैं, कोचिंग लेते हैं, कई सारी सुविधाओं की मदद भी लेते हैं. लेकिन क्या ये संभव है कि एक अनाथ आदिवासी, जिसे हिंदी भी ठीक से नहीं बोलनी आती वो जेईई मेंस जैसी कठिन परीक्षा पास कर ले?

अनाथ आदिवासी लड़की ने पास की कठिन परीक्षा

सुनने में ये नामुमकिन जैसा लगता है लेकिन एलिशा हासा ने इसे सच साबित कर दिखाया है. एलिशा एक अनाथ आदिवासी है जिसने सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक जेईई मेन्स की परीक्षा पास की है. एलिशा बड़े सपने देखने वाली लड़की है. वह चाहती हैं कि खुद को इतना काबिल बनाएं कि अपने जैसे गरीबी के शिकार बच्चों के जीवन में बदलाव ला सके.

9 साल की उम्र में खो दिए माता पिता

मेहनत और सफलता की ये कहानी है खूंटी की रहने वाली एलिशा हासा कि, जो अब जेईई-एडवांस की तैयारी कर रही हैं. एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार मात्र वो नौ साल की उम्र में एलिशा ने अपने माता-पिता को खो दिया. इसके बाद से उसे एक अनाथालय में भेज दिया गया. 2015 में वहां से उसे कालामाटी खूंटी स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में पढ़ने के लिए भेजा गया.

भरी सपनों की उड़ान

यहां से उसे ‘सपनों की उड़ान’ कार्यक्रम का पता चला. इस कार्यक्रम ने उसके सपनों को पंख दिए. अपना लक्ष्य पहचानने के बाद उसने खुद को पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया. उसने पिछले साल भी प्रयास किया था लेकिन सफल नहीं हो पाई. इस साल उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में पूरे भारत में 1,788 स्थान प्राप्त हुआ है.

अब एलिशा का लक्ष्य जेईई एडवांस की परीक्षा पास करना है. वो खुद को काबिल बना कर अपने जैसे बच्चों के लिए कुछ अच्छा करना चाहती है. एलिशा को ये विश्वास है कि उसके सपने खूब पढ़ने से ही पूरे होंगे.

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