मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम या व्हाट्सएप जैसी मैसेंजर सेवा नहीं थी तो हमारे पूर्वज दूर-दूर रहने वाले अपने दोस्तों के साथ कैसे संवाद करते थे? इस पेचीदा सवाल का जवाब वैज्ञानिकों ने खोज लिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 50000 साल पहले हमारे पूर्वज शुतुरमुर्ग के अंडे के खोल से बनी मोतियों से दूर-दूर तक सन्देश भेजते थे।


शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए यह हमेशा से कौतूहल का विषय रहा है कि आखिर सदियों पहले लोग दूसरे समुदायों से कैसे, कैसे और क्यों बातचीत करते थे, जुड़े रहने की कोशिश करते हैं। रहस्य धीरे-धीरे सुलझ रहे हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार 50,000-33,000 साल पहले पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले समुदाय शुतुरमुर्ग के अंडे के छिलकों से बनी मोतियों की मदद से 3000 किलोमीटर तक संदेश भेजते थे। यह सोचकर हैरानी होती है कि शुतुरमुर्ग के अंडे के छिलके से बने मोतियों ने इतनी दूरी पर रहने वाले दो समुदायों को एक धागे में बांध दिया था।




यह अध्ययन नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के अनुसार, ऑस्ट्रिच एगशेल बीड टेक्नोलॉजी पूर्वी अफ्रीका में उत्पन्न हुई और दक्षिण अफ्रीका में फैल गई। शोधकर्ताओं का यह भी मानना ​​है कि 33,000 साल पहले यह संपर्क टूट गया था और अफ्रीका के समुदाय एक दूसरे से अलग रहने लगे थे।


जर्नल के उप लेखक यिमिंग वी. वांग कहते हैं, ‘परिणाम चौंकाने वाले हैं लेकिन पैटर्न स्पष्ट है। हमने जितने 50,000 वर्षों का परीक्षण किया, केवल उसी समय अवधि के मोतियों की विशेषताएं समान थीं। कनेक्शन का पता लगाया जा सकता है।




वैज्ञानिकों का कहना है कि पुराने सामाजिक संबंधों को समझने में शुतुरमुर्ग के अंडे के छिलके से बनी माला काफी कारगर साबित हो सकती है। ये दुनिया में सबसे पुराने पूरी तरह से निर्मित गहने हैं, जिसका अर्थ है कि मनुष्यों ने शुतुरमुर्ग के अंडे के छिलके के प्राकृतिक आकार को पूरी तरह से बदल दिया था।


अध्ययन के प्रमुख लेखक जेनिफर एम. मिलर के शब्दों में, ‘यह रोटी के एक टुकड़े का अनुसरण करने जैसा है। ये मोती ऐसे सुराग हैं जो समय में कहीं खो गए हैं और वे किसी के पहचानने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’


जेनिफर और यिमिंग ने मिलकर दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका के 31 स्थलों से लगभग 1500 मनके एकत्र किए। इन मोतियों की जानकारी 50000 साल से कैद है। 33000 साल बाद गायब हो गए ये मोती, इसका कारण अफ्रीका का जलवायु परिवर्तन बताया जा रहा है। इन मोतियों में हमारे पूर्वजों के बारे में बेहद चौंकाने वाले सच छिपे हैं और वैज्ञानिक इन्हें खोजने की कोशिश कर रहे हैं।

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