‘नाम गम जाएगा चेहरे ये बादल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है गर याद रहे…’ गाने की ये पंक्तियां दिवंगत गायिका लता मंगेशकर के लिए लिखी गई थीं. हालांकि वह आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपनी आवाज और गाने की वजह से लोगों के दिलों में जिंदा हैं। अगर लता मंगेशकर आज दुनिया में होतीं तो अपना 93वां जन्मदिन मनातीं। भारत रत्न लता का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक प्रसिद्ध संगीतकार थे। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में संगीत की दुनिया में कदम रख दिया था। लता ने बहुत कम उम्र में ही अपनी आवाज और सुर से गायन में महारत हासिल कर ली थी। उन्होंने कई भाषाओं में गाने गाए हैं।



यह गाना सबसे पहले रेडियो के लिए गाया गया था
लता मंगेशकर ने पहली बार 16 दिसंबर 1941 को रेडियो के लिए गाया था। वहीं ज्ञात हो कि भारतीय संगीत के इतिहास में सबसे अधिक गाने रिकॉर्ड करने के लिए वर्ष 1974 में लता मंगेशकर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। लता मंगेशकर को साल 2001 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा जा चुका है। लता मंगेशकर के परिवार में उनकी बहन आशा भोसले और उषा मंगेशकर भी पार्श्व गायिका हैं। उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर संगीतकार रह चुके हैं।



लता का आखिरी एल्बम गाना
लता मंगेशकर के कई गाने कभी रिलीज़ नहीं हुए। ऐसा ही एक गाना संगीतकार, निर्देशक और निर्माता विशाल भारद्वाज ने सितंबर 2021 में लता मंगेशकर के जन्मदिन के मौके पर सोशल मीडिया पर शेयर किया था। ‘ठिक नहीं लगता’ नाम का गाना 90 के दशक में रिकॉर्ड किया गया था। इस गाने को गीतकार गुलजार ने लिखा था।

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