बॉलीवुड अभिनेता और देश के जाने-माने पहलवान रहे दारा सिंह को किसी भी इंट्रोडक्शन की आवश्यकता नहीं है। आज दारा सिंह हमारे बीच में ना हो लेकिन उनकी तमाम बातें ऐसी है जिनकी छाप आज भी हमारे दिल में है। दारा सिंह पहलवान थे और उन्होंने लगभग 500 कुश्तियां लड़ी और इस दौरान एक भी ऐसा मैच नहीं था जिसमें कोई उन्हें हरा पाया हो। वही अभिनय की दुनिया में भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है। रामायण के भगवान हनुमान को आज कौन भुला सकता है। ऐसे में आज हम आपको दारा सिंह के बारे में और भी कुछ बताने वाले हैं। गौरतलब है कि पहलवान दारा सिंह के एक छोटे भाई सरदारा सिंह भी थे। जिन्हे लोग रंधावा के नाम से जानते थे। दारा सिंह रंधावा दोनों ने मिलकर पहलवानी करनी शुरू की थी और धीरे-धीरे गांव के जंगलों से लेकर शहरों तक में वह दोनों ताबड़तोड़ कुश्तियां जीत कर आने लगे।
दारा सिंह के बारे में बात करें तो उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैंपियन जार्ज गारडियान्का को हरा कॉमनवेल्थ की विश्व चैंपियनशिप जीती थी। इसके बाद 1968 में वह अमेरिका के विश्व चैंपियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्री स्टाइल कुश्ती के विश्व विजेता बने थे। इसके बाद उन्होंने 55 की उम्र तक पहलवानी की और 500 मुकाबलों में उन्हें कोई नहीं हरा पाया। आपको बता दें कि दारा सिंह को हमेशा किंग कॉन्ग के साथ हुए उनके मुकाबले के लिए याद किया जाता रहेगा। इतिहास के सबसे हैरतअंगेज मुकाबलों में से एक इस मुकाबले में दारा सिंह ने ऑस्ट्रेलिया की किंग कॉन्ग जो कि 200 किलो वजनी था। उसको उठाया और घुमा कर फेंक दिया। 130 किलो के दारा सिंह द्वारा लगाया गया यह दाव देखकर दर्शकों ने दांतो तले उंगली दबा ली थी।
दारा सिंह के इस दांव के बाद रेफरी पर किंग कॉन्ग गुस्सा हो गया था। किंग कॉन्ग के मुताबिक यह दाव नियमों के खिलाफ था। इसके बाद जब रेफरी ने दारा को ऐसा करने से रोका तो उन्होंने किंग कॉन्ग को उठाकर रिंग से बाहर फेंक दिया। ऐसे में किंग दर्शकों के पास जाकर गिरे थे। दारा सिंह, किंग कॉन्ग और फ्लैश गॉर्डन ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने 50 के दशक में कुश्ती की दुनिया में राज किया था। दारा और किंग का मैच देखने के लिए दर्शकों का भारी हुजूम उमड़ पड़ता था। दारा सिंह ने 1983 में अपना आखिरी मुकाबला खेला था। इस मैच में भी जीत के बाद उन्होंने कुश्ती से संन्यास ले लिया। यह टूर्नामेंट दिल्ली में हुआ था। अपराजित रहने वाले और कुश्ती के कई दिग्गज नामों को धूल चटाने वाले दारा सिंह ने अपने फिल्मी करियर के दौरान 1952 में फिल्म संगदिल की थी।
इसके बाद उन्होंने आगे जाकर कई अन्य फिल्मों में भी काम किया। फिल्म निर्देशक मनमोहन देसाई एक बार उनके लिए कहा था कि, मैं अमिताभ बच्चन को लेकर फिल्म मर्द का निर्माण कर रहा हूं और ऐसे में मैं सोच रहा था कि उनकी इस फिल्म में उनके पिता का किरदार आखिर कौन कर सकता है। ऐसे में मुझे ख्याल आया कि अगर मैं अमिताभ को मर्द की भूमिका में देख रहा हूं तो उनके पिता का चेहरा तो दारा सिंह को ही निभाना चाहिए। गौरतलब है कि दारा सिंह ने अपने फिल्मी करियर के दौरान बॉलीवुड के टॉप सितारों के साथ काम किया।
दारा सिंह जी को नहुत सरे मैडल और ख़िताब भी मिले है
इस दौरान दारा सिंह की बड़ी फिल्मों जैसे मेरा नाम जोकर, अजूबा, दिल्लगी, कल हो ना हो और जब भी मेट जैसी शानदार फिल्मों में अभिनय किया है। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी और पंजाबी फिल्मों का निर्माण भी किया है। 1980 से 1990 के दशक में दारा सिंह ने टीवी का रुख किया था। ऐसे में उन्होंने अपने समय के सबसे ऐतिहासिक सीरियल रामायण में भगवान हनुमान जी का किरदार अदा किया था। इस किरदार से उनकी पहचान देश के घर-घर तक हो गई।