बुंदेलखंड के एक छोटे से कस्बे में छोटी सी कपड़े की दुकान चलाने वाले दुकानदार पिता ने अपने दोनों बच्चों को बड़ी मेहनत से पढ़ाया. आज उन्हें उनकी मेहनत का फल तब मिला जब उनके दोनों बच्चे एक साथ अधिकारी बन गए. बेटे और बेटी के इस एक साथ किये कमाल की वजह से इनका परिवार दुगनी खुशी का आनंद ले रहा है. इस पिता की मेहनत का परिणाम देख आज हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है.
सगे भाई-बहन एक साथ बने अधिकारी
ये उपलब्धि हासिल की है मध्यप्रदेश के सागर जिला मुख्यालय से करीब 75 किलोमीटर दूर स्थित शाहगढ़ में कपड़े की छोटी सी दुकान चलाने वाले दुकानदार संजय जैन के बेटे और बेटी ने. जिन्होंने एमपीपीएससी 2020 की परीक्षा पास कर सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं. आज उनके इस कारनामे से एक छोटे से कस्बे का नाम पूरे प्रदेश में रोशन हो रहा है. भाई बहन की इस जोड़ी में भाई सिद्धार्थ जैन जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर चयनित हुए हैं, वहीं बहन समीक्षा जैन डिप्टी कलेक्टर के पद के लिए चयनित हुई हैं.
पूरे गांव ने किया स्वागत
रिपोर्ट के अनुसार उनकी इस उपलब्धि की खबर जब उनके गांव तक पहुंची तो पूरा गांव खुशी से झूम उठाया. रविवार को दोनों भाई बहन के इंदौर से अपने घर पहुंचने पर पूरे गांव ने स्टैंड पर जमा होकर ढोल नगाड़े गाजे-बाजे और फूल मालाओं के साथ उनका स्वागत किया. किसी ने मालाएं पहनाई तो किसी ने मिठाई खिलाई. किसी ने गले मिलकर उन्हें बधाई दी. पैदल चलकर गांव में जुलूस निकाला गया और उन्हें घर तक ले जाया गया.
घर पहुंचते ही सिद्धार्थ और समीक्षा ने माता पिता से आशीर्वाद लिया. घर में दाखिल होने से पहले मां ने आरती उतार कर बच्चों का स्वागत किया. एमपीपीएससी में चयनित हुए समीक्षा और सिद्धार्थ ने भी गांव वालों की खुशी को दोगुना करते हुए उनके साथ डांस किया. दोनों भाई-बहन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया है.
सेल्फ स्टडी पर करें भरोसा
अपनी इस सफलता पर समीक्षा का कहना है कि अगर आप मन लगाकर मेहनत से पढ़ाई करते हैं तो आपको सफलता जरूर मिलेगी. उन्होंने सेल्फ स्टडी को ज्यादा महत्व देने की सलाह दी. सिद्धार्थ इस पर कहा कि उन्होंने सेल्फ स्टडी की है. साथ ही अगर आप किसी एग्जाम की तैयारी करना चाहते हैं तो कक्षा 11वीं 12वीं से ही पेपर पढ़ना शुरू करें. अपने आसपास की चीजों को ऑब्जर्व करें. सेल्फ स्टडी पर भरोसा रखें तो सब कुछ सही होगा.
दोनों के पिता संजय जैन ने खुशी जताते हुए कहा कि गांव वालों का प्यार और भावनाएं हमेशा बच्चों के साथ थीं. बच्चों ने भी अनुशासन और गंभीरता के साथ पढ़ाई की. जिसका परिणाम उनकी इस बड़ी सफलता के रूप में सबके सामने है.