लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. इस कहावत को जम्मू-कश्मीर की बेटी इरम चौधरी ने सच कर दिखाया है. वो यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक करने वाली जम्मू-कश्मीर की पहली आदिवासी लड़की बन गई हैं. उन्होंने सेल्फ स्टडी के दम पर देश भर में 852वीं रैंक हासिल किया है. उनकी कामयाबी का शोर अब पूरे कश्मीर घाटी में सुनाई दे रहा है.

MBBS के दौरान UPSC क्लियर करने की ठानी

आदिवासी समाज से आने वाली इरम चौधरी राजौरी के एक पिछड़े इलाके की रहने वाली हैं. उनकी कामयाबी पर उनका पूरा परिवार काफी खुश है. उन्होंने अपनी कामयाबी पर उन सभी का शुक्रिया अदा किया है, जिन्होंने इरम की सफलता में उनकी मदद की. खास तौर पर अपने परिवार को उन्होंने इसका श्रेय दिया.

बता दें कि यूपीएससी क्लियर करने वाली इरम चौधरी मेडिकल की छात्रा हैं. शुरुआत से उनका सपना था कि वो डॉक्टर बनें. उन्होंने पहले MBBS की परीक्षा पास की. साल 2018 में जम्मू के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) से MBBS की पढ़ाई पूरी की. अपने लास्ट समेस्टर में उन्होंने सिविल सर्विस में जाने का फैसला लिया.

चौथे प्रयास में हुईं सफल

इरम चौधरी ने बिना कोई कोचिंग जॉइन किए मेहनत के साथ UPSC की तैयारी में जुट गईं. मीडिया से बातचीत करते हुए इरम बताती हैं कि मैंने तैयारी के दौरान 8 से 10 घंटे रोजाना पढ़ाई की. नौकरी के साथ डॉक्टर इरम चौधरी के लिए UPSC क्रैक करना आसान नहीं था. अपने पहले प्रयास में वो असफल रहीं.

असफलता मिलने के बाद इरम ने हिम्मत नहीं हारीं. वो लगातार मेहनत करती रहीं. फिर दूसरे और तीसरे प्रयास में भी असफलता मिली. मगर, उनका हौसला बुलंद था. वो सिविल सर्विस जॉइन कर देश सेवा करना चाहती थीं. उनकी मेहनत और लगातार प्रयास का फल भी उन्हें मिला. इरम अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी क्रैक करने में कामयाब रहीं और वह ऐसा करने वाली कश्मीर की पहली ट्राइबल गर्ल बन गई हैं.

डॉ इरम चौधरी का कहना है कि इंडियन फ़ॉरेन सर्विस (IFS) उनकी पहली प्राथमिकता है. जिसकी मदद से वह पूरी दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं. उनका सपना है कि वह हेल्थ और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करें. हालांकि अपनी मेहनत और निरंतर प्रयास से इरम चौधरी UPSC क्लियर कर दूसरी लड़कियों के लिए मिसाल बन गई हैं.

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