किसान शब्द सुनते ही हमारे जेहन में एक पुरुष की छवि उभरकर सामने आती है क्योंकि शुरु से ही खेती-बाड़ी पुरुष ही करते आ रहे हैं। लेकिन अब समय बदल रहा है, महिलाएं भी कृषि क्षेत्र में कदम रख रही हैं साथ ही उसमे सफलता भी हासिल कर रही हैं। इतना ही नहीं मौजूदा समय में महिलाएं इतनी जागरुक हो गई कृषि में आधुनिक तौर-तरीकों को अपनाकर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रही हैं।

इसी कड़ी में आज की यह कहानी भी एक महिला किसान है कि जिसने खेतो में आधुनिक तरीके से मल्टीक्रोपिंग करके बेहतर आमदनी कमा रही है। आइए जानते हैं उस सफल महिला किसान के बारें में

कौन है वह महिला किसान?

कर्नाटक (Karnataka) कविताल की रहनेवाली कविता उमाशंकर मिश्रा (Kavita Umashankar Mishra) खेती के साथ-साथ नर्सरी, बागवानी और पशुपालन भी करती हैं और इससे आज वह अच्छा-खासा मुनाफा भी कमा रही हैं। उन्होंने कम्प्यूटर साइन्स से 3 साल के डिप्लोमा औए कर्नाटक के धाड़वाड़ यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान से MA की पढ़ाई की है।

नहीं थी बाहर काम करने की आजादी

हर किसी का अलग-अलग सपना होता है, किसी को डॉक्टर, इन्जीनियर, पायलट, वैज्ञानिक, सिंगर, डांसर आदि बनने का सपना होता है। उसी प्रकार कविता भी शुरु से ही इन्जीनियर बनने का ख्वाब देखती थीं, लेकिन कहते हैंन हर बार हमारा सोचा हुआ नहीं होता है। कविता की शादी जहां हुई थीं उस समाज में लड़कियो, महिलाओं को घर से बाहर जाकर नौकरी करने की आजादी नहीं थी। यहां तक की उनके पति ने भी कह दिया कि जो भी करना है घर पर रहकर ही करना है।

छोड़नी पड़ी MNC की नौकरी

पति की बात सुनकर उन्होंने अपने सास-ससुर की खाली पड़ी जमीन पर कुछ करने का विचार किया। ऐसे में उन्होंने सोचा कि सिर्फ घर की चारदिवारी में कैद होकर अपना जीवन बर्बाद करने से बेहतर होगा कि खेती किया जाए। हालांकि, ऐसा नहीं था कि उन्हें नौकरी का ऑफ़र नहीं मिला बल्कि उन्हें MNC में नौकरी करने का ऑफ़र मिला था लेकिन घर से इजाजत होने की वजह से उन्होंने उस नौकरी को ठुकरा दिया। उसके बाद कविता ने धरती मां को अपनाकर खेती करने का फैसला किया। Karnataka Woman Farmer Kavita Umashankar Mishra earns Rs 25 to 30 lakhs annually from Horticulture.

8 एकड़ जमीन पर करती हैं बागवानी

कविता ने बताया कि, वह 8 एकड़ 10 कुंठा जमीन पर बागावानी करती हैं, जिसमें 2100 चंदन का पेड़, 600 अमरूद का पेड़, 600 आम के पेड़, 600 सीताफल, 200 काला जामुन, 100 आंवला, 100 सहजन, 100 मौसमी आदि के पेड़ फल-फुल रहे हैं। वह कहती हैं कि, आम का पेड़ 3 साल, शरीफा 2 साल, अमरूद एक साल, आंवला 2 साल, चीकू और नींबू का पेड़ 3 साल में फल देने लगता है। इसके अलावा मौसम्बी का पेड़ 2 वर्ष और सहजन का पेड़ 6 महीना में तैयार हो जाता है। वहीं चंदन और सागवान टिम्बर फसल होने की वजह से 12 से 15 वर्षों में हार्वेस्ट होता है।

मल्टीक्रॉपिंग से सालाना 30 लाख की करती हैं कमाई

आप जानते हैं कि, कविता द्वारा लगाएं गए इन पौधें के फलों की कीमत बाजार में हमेशा एक जैसी नहीं होती है, हमेशा कीमतों में उतार-चढ़ाव आता है। इसी कारण से कविता खेती करने के लिए मल्टीक्रॉपिंग (Multicropping Farming Method) का तरीका अपनाती हैं, ताकि आमदनी में बैलेंस बना रहे। इसके अलावा भिन्न-भिन्न प्रकार की खेती करने पर उसमे लागत में भी भिन्नता होती है, किसी फसल में कम लागत खर्च होता है तो किसी फसल में अधिक। हालांकि, इतना होने के बावजूद कविता बागवानी से सालाना 25 से 20 लाख रुपये की अच्छी कमाई करती हैं।

महिलाओं को देती हैं संदेश

वह महिलाओं को संदेश देती हैं कि, अब वो जमाना नहीं रहा जब महिलाओं को कमजोर और असक्षम समझा जाता था। अब समय करवट बदल रहा है, जिसमें महिला सबल और सक्षम दोनों बनकर मिसाल पेश कर रही हैं। किसी भी काम को छोटा नहीं समझना चाहिए। वह आगे कहती हैं कि, आप जो भी करने की इच्छुक हैं बेशक कीजिए फिर चाहे कोई आपके साथ हो या न हो। यदि महिलाओं के पास दृढ़ इच्छाशक्ति, मेहनत और आगे बढ़ने का हौसला हो तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। अन्त में वह कहती हैं कि इस मुकाम को पाने के लिए वह धरती मां की आभारी हैं।

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