हर भारतीय 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में जानता है, क्योंकि इसी दिन 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ था। जबकि पहले गणतंत्र दिवस से ठीक 20 साल पहले 26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज के अपने प्रस्ताव को लागू करने की घोषणा की थी। इसके बाद यह साफ हो गया था कि भारत ब्रिटिश राज से पूरी तरह मुक्त होगा, बस एक ही सवाल बाकी था कि कब? इसीलिए 15 अगस्त 1947 में आजादी मिलने तक 18 साल 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस (इंडिपेंडेंस डे) के रूप में मनाया जाता रहा। 1920 आते-आते भारतीय नेताओं को लगने लगा था कि अंग्रेज सरकार प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किए गए अपने वादों से पीछे हट रही है। इससे टुकड़ों में ही सही पर देश ब्रिटिश हुकूमत के पंजे से अलग होने लगा। इस सबका परिणाम 1 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन के रूप में सामने आया और उनकी ही सहमति से खिलाफत आंदोलन समानान्तर रूप से चलने लगा।
असहयोग आंदोलन में लोगों से ब्रिटिश सरकार का बायकॉट करने की अपील की गई। लोगों से अंग्रेजों के समारोहों में न जाने, उनके द्वारा प्रदान की गई पदवियाें और पदों को छोड़ने के साथ ही विदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल न करने व स्वदेशी को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया। इतिहासकार विपिन चंद्रा के मुताबिक इस आंदोलन का असर यह हुआ कि कभी कांग्रेस को मुट्ठी भर लाेगों संगठन कहने वाले अंग्रेज दोबारा ऐसा कहने का साहस नहीं कर सके।
मार्च 1922 में गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया। फरवरी 1924 में स्वास्थ्य बिगड़ने पर उन्हें रिहा किया गया। इस अवधि में कांग्रेस में कुछ मतभेद उत्पन्न हो गए। अंग्रेज इसे पूरे देश में हवा देने लगे। इस बीच सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया गया, लेकिन इसमें एक भी भारतीय नहीं था। गांधी जी ने इसके विरोध में अपने अखबार यंग इंडिया में लिखा भी। इसके बाद कांग्रेस ने देश में संवैधानिक सुधारों के प्रस्ताव के लिए मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में अपना आयोग बनाया। नेहरू आयोग की रिपोर्ट में भारत के लिए ब्रिटिश हुकूमत के अधीन (डोमिनियन स्टेटस) स्वराज देने की बात कही गई। दिसंबर 1928 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भारत को एक साल के भीतर ग्रेट डोमिनियन स्टेटस देने का प्रस्ताव पारित किया गया। ऐसा न करके कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की बात कही।
सरकार से कोई सहमति न मिलने पर कांग्रेस ने दिसंबर 1929 में लाहौर अधिवेशन में ऐतिहासिक प्रस्ताव पास करने की तैयारी कर ली। 26 दिसंबर 1929 को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ। कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस (इंडिपेंडडेंस डे) घोषित किया, क्योंकि इसी दिन से यह प्रस्ताव लागू हुआ था। हालांकि 15 अगस्त 1947 बाद में आधिकारिक स्वतंत्रता दिवस बना। 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज के प्रस्ताव लागू होने की तिथि को महत्व देने के लिए ही 26 जनवरी 1950 को संिवधान को लागू किया गया।