पश्चिम बंगाल के एक परिवार ने एक अनोखी मिसाल पेश की है. उत्तर 24 परगना के एक परिवार में पिछले 25 साल से एक पालतू तोता रहता था. तोते के निधन के बाद परिवार ने हिन्दू रीति-रिवाज़ से उसका अंतिम संस्कार किया. परिवार के सभी लोगों ने अपने प्यारे भक्तो’ को आखिरी अलविदा कहा.

‘भक्तो’ का अंतिम संस्कार

इंसानों के अंतिम संस्कार, रीति-रिवाज़ से अंतिम यात्रा के बारे में तो सुना होगा. लेकिन कुछ लोगों के लिए उनके पालतू जानवर भी परिवार के सदस्य जैसे ही बन जाते हैं. पश्चिम बंगाल के ज़िला उत्तर 24 परगना के आएरा गांव के मजूमदार परिवार के लिए उनका पालतू तोता उनके घर के सदस्य जैसा ही था. ‘भक्तो’ से सभी को इतना लगाव था कि वो सबके साथ ही खाना खाता था.

25 साल तक साथ रहने के बाद भक्तो ने जब दुनिया को अलविदा कहा जब मजूमदार परिवार ने किसी परिवार के सदस्य की तरह ही उसे आखिरी अलविदा कहने का निर्णय लिया.

परिवार ने नम आंखों से दी विदाई

परिवार के सदस्य तारक मजूमदार ने कहा कि बीते शुक्रवार को घर में एक फंशन था. तारक के शब्दों में, ‘साउंड बॉक्स बज रहा था. भक्तो का पिंजरा उसके बगल में ही रखा हुआ था. अचानक वो बेहोश हो गया. मुझे लगता है कि साउंड बॉक्स की आवाज़ उसके दिमाग पर लगी. हमने तुरंत भक्तो को पिंजरे से हटाया और उसे पानी दिया लेकिन उसने आंखें नहीं खोली. उसने मेरे हाथों में ही दम तोड़ दिया.’

तारक ने उम्मीद जताई कि भक्तो भविष्य में इसी परिवार में इंसान बनकर पैदा हो.

गांव के लोग भी हुए शामिल

बीते मंगलवार को मजूमदार परिवार ने एक पंडित बुलाया. हिन्दू नियमों के अनुसार भक्तो को अंतिम विदाई दी गई. भक्तो की अस्थियों को नैहाटी स्थित हुगली नदी के घाट पर बहाया गया. बुधवार को परिवार ने भोज भी रखा और 25 मेहमानों को बुलाया.

भक्तो के गुज़रने की बात सुनकर गांव वाले भी मजूमदार परिवार के घर पहुंचे और भक्तो को श्रद्धांजलि दी.

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