मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. इन पक्तियों को वडोदरा की रहने वाली 18 वर्षीय लक्षिता संडीला (Laxita Sandila) ने सच कर दिखाया है. लक्षिता ने आर्थिक तंगी के बावजूद हिम्मत नहीं हारीं और दक्षिण कोरिया में हुए एशियाई अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 1500 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन कर दिया.

पिता है टैक्सी ड्राइवर

‘गोल्डन गर्ल’ लक्षिता गरीब परिवार में जन्मीं एथलीट हैं. उनके पिता एक टैक्सी ड्राइवर हैं. बड़ी मुश्किल से परिवार का खर्च पूरा हो पता है. आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपने सपने को उड़ान भरने का संकल्प लिया. उनके पिता विनोद के पास भले ही पैसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने बेटी को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने बेटी की ट्रेनिंग के लिए फंड जुटाए, जिसके लिए काफी परेशानियां भी उठानी पड़ीं.

बातचीत में लक्षिता के पिता ने कहा- “एथलेटिक्स महंगा है, क्योंकि लक्षिता को ट्रेनिंग, बेहतर क्वालिटी के जूते और एक अच्छे फिजियो की भी जरूरत है. उनके शानदार प्रदर्शन और सफल होने की इच्छा को देखने के बाद कुछ NGO ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया. उसके कोच रिप्पनदीप रंधवाना ने भी लक्षिता का काफी सपोर्ट किया.”

लक्षिता ने जीता गोल्ड मेडल

लक्षिता संडीला पहली बार तब चर्चा में आईं, जब फ्रांस में ISF वर्ल्ड स्कूल जिम्नेसियाड में उन्होंने दो सिल्वर मेडल जीते थे. अब एक बार फिर एशियाई अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर लक्षिता एथलेटिक्स की दुनिया में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर सुर्ख़ियों में आ गई हैं. मुश्किल हालात से लड़कर देश की बेटी ने विदेश में भारत का परचम बुलंद कर दिया. हालांकि, वह स्टार्ट लाइन से शुरुआत की और दूसरे स्थान पर कुछ सेकेंड के लिए पिछड़ रही थीं, मगर जल्द ही उन्होंने स्पीड पकड़ी और बाकी लड़कियों से आगे निकल गईं.

वह 4 मिनट और 24.23 सेकेंड में फिनिश लाइन पर पहुंची. उन्होंने अपने पिछले व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4 मिनट और 26.48 सेकेंड को दो सेकेंड से ज्यादा के अंतर से पीछे छोड़ दिया. गोल्ड जीतने के बाद उनके परिवार में खुशी का माहौल है. उनके पिता ने कहा हमें बेटी पर बहुत गर्व है. वह इस टूर्नामेंट के लिए काफी मेहनत कर रही थी. हमें उम्मीद थी कि वह मेडल जीतेगी.

ओलंपिक में पदक जीतने का है सपना

लक्षिता ने भी अपनी इस सफलता पर अपने माता-पिता और कोच को धन्यवाद दिया. इसके अलावा उनके जीवन में उनकी मदद करने वाले और उन्हें सपोर्ट करने वालों का भी उन्होंने शुक्रिया अदा किया. लक्षिता पूर्व एथलीट पीटी उषा को आपना आइडियल मानती हैं. अब उनका सपना ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतना है.

बता दें कि लक्षिता बीबीए की छात्रा हैं. उन्होंने 14 साल की उम्र में एथलीट बनने के लिए ट्रेनिंग शुरू की. शुरुआत में वह हॉकी खेलती थीं. लेकिन उनके एक रिश्तेदार, जो कि कोच हैं उन्होंने उन्हें एथलीट बनने की सलाह दी. जिसके बाद लक्षिता ने इस राह में अपने कदम आगे बढ़ाए और आज गोल्ड मेडल जीतकर दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं.

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