Success Story of Poonam: एक समय था जब महिलाओं की जिम्मेदारियां पिछवाड़े तक ही सीमित थीं। धीरे-धीरे पुरुष प्रधान सोच से पर्दा उठने लगा, फिर महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों को पछाड़ने लगीं। कई बार महिलाओं ने पुरुषों को पछाड़कर अपना पराक्रम दिखाया। महिलाओं ने दिखाया कि आज की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। चाहे वह आईएएस हो, पीसीएस परीक्षा हो या सेना में जिम्मेदार पदों पर हो। आज की नारी भी देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान है। गाजियाबाद के पटेल नगर की रहने वाली 35 वर्षीय पूनम भी द्वेषपूर्ण सोच की रूढ़िवादिता को तोड़ रही हैं.

लकवे ने पूनम के पति को अपंग कर दिया, लेकिन उनके हौसले नहीं हिला सके। पति पूनम बच्चों की देखभाल के साथ-साथ घर के सारे काम भी कर रही हैं। उनका कहना है कि बाइक मैकेनिक की दुकान चलाने से घर में दो पैसे की आमदनी बढ़ी है. बच्चों की फीस भी समय पर चुकाई जाती है और पति या कोई अन्य बीमार हो तो उसकी दवा का खर्च भी वहन किया जाता है।

कोविड ने छीन ली पति की नौकरी

पूनम गाजियाबाद के पटेल नगर में रहती हैं। पूनम के पति राजेश एक निजी कंपनी में मोटर मैकेनिक थे। 2020 में, कोविद -19 ने देश को मारा और मार्च 2020 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले तालाबंदी की घोषणा की। लॉकडाउन शुरू होते ही राजेश की नौकरी चली गई। राजेश के परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। घर में सोचकर बाइक मैकेनिक की दुकान खोलने की सोची। इसके बाद राजेश को लकवा का दौरा पड़ा। पूनम अपने पति राजेश के साथ प्रयागराज गई थीं। कई उपचार थे। परिवार के पास जो कुछ बचा था वह राजेश के इलाज पर खर्च हो गया। परिवार को एक-एक पैसा मिला। दोनों बेटियां स्कूल छोड़ने की बात पर आ गईं। लेकिन पूनम को भी इन सब परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था।

पूनम बनीं बाइक के हर हिस्से की मरम्मत में माहिर

पूनम पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। लकवा का दौरा पड़ने से राजेश के दाहिने हाथ ने काम करना बंद कर दिया था। सब कुछ बर्बाद होने वाला था। विपरीत परिस्थितियों का सामना करने का बीड़ा खुद पूनम ने उठाया। पति की सलाह पर पूनम ने पटेल नगर में ही बाइक रिपेयर की छोटी सी दुकान खोल ली। राजेश के दिमाग में कौशल था और पूनम उसका हाथ। पूनम ने धीरे-धीरे बाइक मैकेनिक का काम सीखना शुरू कर दिया। जब भी कोई परेशानी होती, वह राजेश से पूछती। राजेश पूनम के साथ दुकान पर जाता है। पूनम बाइक को फॉल्ट चेकिंग से लेकर इंजन रिपेयर करने तक संभाल रही हैं। आमदनी बढ़ी है तो अब घर के हालात भी बदल गए हैं।

बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजती

पूनम ने बताया कि शुरुआत में दुकान और घर संभालने में दिक्कत आती थी. दोनों बच्चों को स्कूल तैयार करने के लिए जल्दी उठना, फिर जल्दी जल्दी दुकान के लिए तैयार होना. लेकिन अब कोई परेशानी नहीं है. अब दोनों बेटियों को समय से टिफिन बांधकर, तैयार कर स्कूल भेज देती हूं. राजेश और खुद के लिए भी नाश्ता, खाना तैयार कर लेती हूं. उसके बाद दोनों पति पत्नी दुकान के लिए निकल जाते हैं. बाद में दोनों बच्चे भी स्कूल से छुट्टी कर दुकान पर ही आ जाते हैं.

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