स्वच्छता..पर्यावरण संरक्षण का एक अंग है ! स्वच्छ रहकर हीं स्वस्थ जीवन की कल्पना की जा सकती है ! भारत के सामने एक बड़ी समस्या खुले में शौच की रही है ! लोगों के द्वारा खुले में शौच करने से फैल रही गंदगी कई बिमारियों का आमंत्रण है जिस पर रोक लगाना अत्यावश्यक है ! आज बात एक ऐसी स्वच्छता महिला योद्धा कलावती देवी की जिन्होंने स्वच्छता कायम करने के लिए लोगों को ना सिर्फ खुले में शौच के प्रति जागरूक किया बल्कि अपने दम पर कई शौचालयों का निर्माण भी कर दिया ! आईए जानते हैं उनके संघर्षशील जीवन के बारे में..

गाँव की गंदगी को देख आया स्वच्छता का विचार

कलावती देवी की शादी महज 13 वर्ष की उम्र में हो गई थी ! वह अपने पति के साथ कानपुर के राजा का पुरवा गाँव में रह रही थी ! देखने में राजा का पुरवा गाँव ऐसा लगता था कि मानों वह गंदगी के ढेर पर बसा हो ! उस गाँव में एक भी शौचालय नहीं था ! 700 की आबादी वाले इस बड़े गाँव में लोग खुले में हीं शौच करते थे ! जिसके कारण हर तरफ गंदगी हीं गंदगी थी ! यह देखकर कलावती देवी का मन बेहद हीं व्यथित होता रहता था ! यूं तो कलावती देवी कभी भी विद्यालय नहीं गई थी लेकिन उनके अंदर हमेशा समाज के लिए कुछ ना कुछ करने की भावना का संचार होता रहता था ! कलावती देवी से अपने गाँव की स्थिति नहीं देखी जा रही थीं तब उन्होंने अपने गाँव को खुले में शौच से मुक्त करने का जिम्मा उठा लिया और शौचालय निर्माण का काम शुरू कर दिया !

आर्थिक बाधाओं और वैचारिक मतभेदों से संघर्ष

कलावती ने शौचालय निर्माण करके लोगों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने की जिम्मेदारी तो उठा ली , संकल्प तो कर लिया पर यह सबकुछ बिल्कुल भी आसान नहीं था ! वह लोगों को शौचालय बनाने के लिए कहतीं तो लोग तैयार हीं नहीं होते और ना हीं अपनी जमीन देते ! जिस किसी को उनकी बात समझ भी आती वह आर्थिक खर्चे के कारण मुकर जाता था !अब कलावती के सामने आर्थिक चुनौतियाँ मुँह बाए खड़ी थी ! वे खुद भी आर्थिक रूप से कमजोर थीं ! कलावती लोगों के बीच घूम-घूमकर एक-एक पैसा इकट्ठा करने लगीं और फिर उसी पैसे से शौचालयों का निर्माण शुरू किया !

कर चुकी हैं हजारों शौचालयों का निर्माण

कलावती देवी अपने जिले कानपुर को खुले शौच से मुक्त कराने हेतु दृढ संकल्पित थीं ! अकेले के दम पर शौचालय बनाने तथा लोगों को जागरूक कर उनके द्वारा शौचालय बनवाने के काम को वह बखूबी करने लगीं ! पेशे से एक राज मिस्त्री होने के कारण उन्हें शौचालयों के निर्माण में कारीगर की समस्या नहीं थी ! वे इस कार्य को निरन्तरता से करती रहीं और अब तक वे 4000 से भी अधिक शौचालयों का निर्माण खुद से कर चुकी हैं !

कलावती का संदेश “स्वस्थ रहने हेतु स्वच्छता जरूरी”

स्वच्छता का संदेश देते हुए कलावती कहती हैं “स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी है ! स्वच्छता के लिए लोगों को जागरूक करने में मुझे कुछ वक्त लगा लेकिन मैं आश्वस्त थी कि अगर लोग इस प्रयास की महत्ता समझेंगे तो यह कार्य निश्चित आगे बढ़ जाएगा ! मेरा अरमान पूरा हुआ ! स्वच्छता को लेकर मेरा प्रयास सफल हुआ” ! International Women’s Day 2020 पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के ट्वीटर हैंडल के माध्यम से कलावती जी ने देशवासियों को एक संदेश दिया ! उन्होंने लिखा कि “समाज को आगे ले जाने के लिए इमानदारी से किया गया प्रयास कभी निष्फल नहीं होता ! अगर कोई कड़वी भाषा बोलता है तो उसे बोलने दें! अगर आपको लक्ष्य पाना है तो पीछे मुड़कर मत देखिए” !

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