मीराबाई की मृत्यु के बारे में कई लोगों को भ्रम है कि आखिर वो हुई कैसे थी? तो चलिए आज आपको उनके बारे में कुछ फैक्ट्स बताते हैं।
एक तरफ जहां देवताओं की चर्चा हमेशा कारनामों से जोड़कर बताई जाती है और राजा-रानियों के किस्से हमेशा शौर्य और समृद्धी से जोड़कर देखे जाते हैं वहीं हिंदुस्तान की एक रानी ऐसी थीं जो थी तो मानव, लेकिन उनकी बात हमेशा दैवीय महत्व के साथ ही की जाती है। ये रानी थीं मीरा बाई जिन्हें बहुत ऊंचा दर्जा प्राप्त है। मीरा बाई को कई जगहों पर पूजा जाता है और कहते हैं कि उनके आस-पास रहने वालों को कई चमत्कार देखने को मिले थे।

मीरा बाई मेवाड़ की रानी थीं और श्रीकृष्ण की भक्त थीं। उन्हें अधिकतर लोग यही मानते थे कि वो दिव्य थीं और श्रीकृष्ण में ही विलीन रहती थीं। आज हम आपको मीरा बाई से जुड़े कुछ फैक्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं।

मीरा बाई को कई लोग संत मीरा भी कहते हैं और वो 16वीं सदी की कवित्री भी थीं जो भक्ति रस के बारे में लिखती थीं। वो जन्म से राठौड़ राजपूत थीं और कट्टर परिवार की होने के बाद भी उन्हें निडर और सामाजिक माना जाता रहा। उनके परिवार ने उन्हें कई बार कृष्ण भक्ति से रोका पर उन्होंने कोई ना कोई रास्ता निकाल लिया।

कृष्ण ही नहीं राम भक्ति के लिए भी प्रसिद्ध थीं मीरा बाई
मान्यता है कि मीराबाई ने कृष्ण भक्ति के लिए तुलसीदास से उपाय पूछा था। हालांकि, इसका कोई ऐतिहासिक उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि मीरा बाई को जब कृष्ण भक्ति करने को मना किया गया तो उन्होंने तुलसीदास को गुरु मानकर उनसे पत्रों के जरिए संवाद किया और अपनी दुविधा का उपाय मांगा। तब तुलसीदास ने उन्हें राम भक्ति करने को कहा और उन्होंने राम को लेकर भजन लिखना शुरू किया इनमें से बहुत ही चर्चित माना जाता है, ‘पायो जी मैंने राम रतन’।

कृष्ण को माना पति, लेकिन भोजराज से हुआ ब्याह
मीराबाई को लेकर ये कथा चर्चित है कि बचपन में जब किसी की बारात देखने घर की सारी स्त्रियां छत पर गई थीं वहीं मीराबाई ने मां से पूछा था कि मेरा दूल्हा कौन है? वहां मां ने कृष्ण की मूर्ति की तरफ इशारा कर कहा था कि वो है तुम्हारा दूल्हा और तब से ही उन्होंने श्रीकृष्ण को ही अपना पति मान लिया था।

मीराबाई जोधपुर की राजकुमारी थीं और जब उनके विवाह की बात चली तो उनकी मर्जी के खिलाफ उनकी शादी मेवाड़ के राजकुमार से कर दी गई थी।

जहर का असर नहीं होता था मीराबाई पर
श्रीकृष्ण की भक्ति की बात करें तो ना ही मीरा के परिवार वालों को ये पसंद था और ना ही उनके ससुराल वालों को। माना जाता है कि वो घंटों एक ही मंदिर में कृष्ण की मूर्ति के सामने नाचती रहती थीं और ऐसे में उन्हें विष लोक-लाज की कोई चिंता नहीं थी। ऐसे में उनके ससुराल वालों ने कई बार उन्हें विष देकर मारने की कोशिश की और कई बार तो सांप से कटवाने की कोशिश भी की, लेकिन उन पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

शादी के कुछ साल बाद ही मीराबाई के पति का देहांत हो गया और उस वक्त उन्हें सती करने का प्रयास किया गया, लेकिन वो नहीं मानीं और वो कभी वृंदावन तो कभी द्वारका गईं।

मीराबाई की मृत्यु को लेकर इतिहासकारों के बीच कई मतभेद हैं। कोई कहता है कि उन्होंने द्वारका में देह त्यागी थी और किसी के अनुसार वो वृंदावन में थीं। मीराबाई को लेकर ये लोककथा प्रचलित है कि उन्होंने देह त्याग किया था, लेकिन उनकी मृत्यु नहीं हुई थी। प्रचलित कथा के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मीराबाई घंटों तक कृष्ण मंदिर में नाचती-गाती रही थीं और उनकी भक्ति देख पूरा माहौल दिव्य हो गया था।

एक समय के बाद वो जमीन पर गिर गईं और मंदिर के द्वार अपने आप बंद हो गए। जब कुछ क्षण बाद वो खुले तो दिव्य रोशनी चारों ओर फैली हुई थी। लोगों के अनुसार उस वक्त बांसुरी की मधुर तान बज रही थी और मीरा की साड़ी कृष्ण की मूर्ति से लिपटी हुई थी। मीराबाई मरी नहीं थीं बस कृष्ण में विलीन हो गई थीं।

इतिहास में भी उनकी मृत्यु के बारे में कुछ भी ठीक-ठाक नहीं लिखा है और उनकी मृत्यु का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

तो ये थी मीराबाई के बारे में कुछ रोचक बातें। ऐसे ही किसी अन्य के बारे में भी आप जानना चाहें तो हमें कमेंट बॉक्स में लिख लें ताकी हम जल्दी से जल्दी उसपर स्टोरी कर आपको जानकारी दे सकें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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