मध्य प्रदेश के राजगढ़ से एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक बेबस मां अपने चार बच्चों की परवरिश के लिए बैल की तरह गाड़ी खींचने को मजबूर है। बैलगाड़ी पर उसकी बेटी भी बैठी है। बैलगाड़ी वह हांक नहीं रही, बल्कि खुद बैल बनकर गाड़ी खींच रही है। इस बीच रास्ते में दो बाइक सवारों ने उसे देखकर हाल पूछा तो महिला रो पड़ी और कहा- मैं और मेरी बच्ची भूखी है। इस मार्मिक वीडियो ने ना सिर्फ हर किसी को हैरान किया है, बल्कि सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए। क्या है पूरा मामला? चलिए हम आपको बताते है।

बैल की जगह खुद गाड़ी खींच रही थी विधवा मां!

दरअसल, मध्य प्रदेश के राजगढ़ से एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक गरीब विधवा महिला अपनी मासूम बच्ची को बैलगाड़ी में बैठाकर हाथों से खींच रही है। वीडियो मंगलवार को सामने आया। राजगढ़ से वायरल हुए वीडियो में दिखाई दे रहा है कि लक्ष्मी बाई नाम की महिला अपना थोड़ा सा सामान और मासूम बच्ची के साथ बैलगाड़ी को हाथों से खींचती हुई पचोर से 30 किलोमीटर दूर सारंगपुर जा रही थी। उसने तकरीबन 15 किलोमीटर का सफर तय कर लिया था।

जब रास्ते से जा रहे दो बाइक सवारों ने महिला को गाड़ी खींचते हुए देखा तो उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल रोकी और महिला का हाल चाल पूछा और उसकी मदद की कोशिश की। दो बाइक सवारों ने महिला से उससे परेशानी पूछी, जिस पर महिला ने बताया कि कुछ साल पहले उसके पति की मौत हो गई है, उसके चार बच्चे हैं, जिनके पालन पोषण के लिए वह गाड़ी खींचकर जा रही है।

हिला ने रोते हुए कहा कि उसकी बेटी भूखी है। वह पचौर से गाड़ी खींचते हुए करीब 15 किमी दूर आ गई है लेकिन अभी आधा सफर बाकी है। महिला ने बताया कि वह मुश्किल से एक वक्त का खाना खा पाती है। उसके पास ना रहने के लिए घर है ना ही कोई उसकी मदद करने के लिए सामने आता है। ”मैं हाथ जोड़कर विनती करती हूं मेरी और मेरी बेटी मदद की जाए। कम से कम मुझे दो वक्त का खाना मिल सके।”

महिला ने सुनाई आपबीती!

महिला लक्ष्मी ने मीडिया से चर्चा में बताया कि वह सारंगपुर की निवासी है। करीब ढाई साल पहले मेरे पति का निधन हो गया। पति की मौत के बाद से हम भूखे रहने के लिए मजबूर हैं। हमें शासन की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। हमारे पास दो वक्त का खाना खाने के पैसे तक नहीं है। मेरे 4 छोटे-छोटे बच्चे हैं। हमारे यहां हर आदमी ने घर बना लिया है, लेकिन हम आज भी बरसाती डालकर ही रह रहे हैं। बरसात के समय पूरे घर में पानी भर जाता है। आंधी आती है तो घर की छत उड़ जाती है। ठंड में हमारी क्या हालत होती है, अब क्या बताएं।

महिला ने बताया कि मेरे बच्चे भी काम करते हैं। सरकार से अभी तक 1 रुपए की मदद नहीं मिली है। विधवा पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलता। पेट भरने के लिए खुद भरी दोपहरी में बैलगाड़ी खींचती हूं। सरकार से मदद की उम्मीद है।

बाइक सवार शिक्षकों ने की मदद!

विधवा महिला की आपबीती सुनने के बाद बाइक सवारों ने महिला की मदद की और करीब 15 किमी दूर तक गाड़ी को बाइक से खींचकर सांरगपुर पहुंचाया। महिला की मदद करने वाले शिक्षक देवी सिंह नागर का कहना है कि वो अपने साथी के साथ कहीं जा रहे थे। इस दौरान उनकी नजर एक महिला पर पड़ी, जो कि अपने दोनों हाथों से बैलगाड़ी खींचती हुई जा रही थी। हमने अपनी बाइक रोककर उसकी मदद की कोशिश की।

इस दौरान महिला ने बताया कि वह सारंगपुर जा रही है। उसने और उसकी बेटी ने कुछ खाया तक नहीं है। फिर हमने उससे पूछा, कोई रस्सी है तो उसने बैलगाड़ी से निकालकर रस्सी दी और हमने उसकी बैलगाड़ी को बाइक से बांधा और सारंगपुर पहुंचाया दिया। वहीं महिला की मदद करने वाले बाइक सवारों ने मीडिया को बताया कि वे पेशे से शिक्षक हैं।

राजगढ़ कलेक्टर हर्ष दीक्षित का कहना है कि महिला के बारे में आपसे मुझे जानकारी मिली है। मैं देखता हूं कि महिला क्या काम करती है। महिला को ज्यादा से ज्यादा शासन की योजनाओं का लाभ मिले, इस पर काम करेंगे और उसकी मदद करने की पूरी कोशिश करूंगा।

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