बैजनाथ मंदिर, जानिए भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसे एक अंग्रेज ने फिर से बनवाया था।
अंग्रेजों ने लगभग 200 वर्षों तक भारत पर शासन किया और उन्होंने अपनी इच्छानुसार देश को प्रभावित किया। उन्होंने अपने आवास के लिए कॉलोनियां, बंगले और हिल स्टेशन बनवाए। इसके साथ ही उन्होंने यहां अपना धार्मिक स्थल यानी चर्च भी बनवाया। आज भी आप भारत में अंग्रेजों द्वारा निर्मित कई इमारतें और चर्च देखेंगे। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में मंदिर का पुनर्निर्माण एक अंग्रेज ने कराया था। आइए, कौन थे अंग्रेज और क्या है पूरी कहानी विस्तार से पढ़ें।
मध्य प्रदेश का बैजनाथ मंदिर:
हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह भारत के मध्य प्रदेश के आगर मालवा में भोलेनाथ का मंदिर है। यह मंदिर भोलेनाथ का एक प्राचीन मंदिर होने के कारण भी जाना जाता है, क्योंकि इसका पुनर्निर्माण एक अंग्रेज ने करवाया था। यह पुनर्निर्माण लेफ्टिनेंट कर्नल सी मार्टन और उनकी पत्नी द्वारा वर्ष 1883 के आसपास किया गया था। अब यह प्रश्न भी बहुतों के मन में आ सकता है कि हिन्दू मन्दिर के पुनर्निर्माण के लिए अंग्रेज ने अपना ही धन क्यों व्यय किया? तो दरअसल इसके पीछे भी एक कहानी है।
जब मालवा में तैनात थे मार्टिन आगर:
यह तब हुआ जब ब्रिटिश शासन के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल सी मार्टिन आगर को मालवा भेजा गया था। इस बीच अंग्रेज अफगानों से लड़ रहे थे और मार्टिन को सीमांत पर भेज दिया गया।
इस दौरान मार्टिन अपनी पत्नी से सिर्फ चिट्ठियों के जरिए ही बात कर सकते थे। सीमा पर रहने और युद्ध के बीच, वह अपनी पत्नी को यह बताने के लिए पत्र भेजता था कि वह जीवित है।
एक समय ऐसा आया जब मार्टिन के पत्र आने बंद हो गए। लड़ाई तेज हो गई और अफगान सैनिक अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दे रहे थे। जब पत्र नहीं आया तो मार्टिन की पत्नी को चिंता हुई।
बैजनाथ मंदिर की यात्रा:
पति से बात नहीं होने के कारण पत्नी चिंतित थी। साथ ही चिंता के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा था। एक दिन मार्टिन की पत्नी अपने घोड़े पर सवार थी। रास्ते में उसने भगवान शिव के बैजनाथ मंदिर को देखा और मंदिर के अंदर चल रहे मंत्रोच्चारण को सुना।
वह मंदिर के अंदर गई और वहां मौजूद ब्राह्मणों को अपनी सारी व्यथा सुनाई। उन्होंने मार्टिन की पत्नी से कहा कि भोलेनाथ भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं और उन्हें संकट से निकालने का काम करते हैं। ब्राह्मणों ने उन्हें 11 दिनों तक ‘ૐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने की सलाह दी। मार्टिन की पत्नी ने एक मंत्र का जाप किया और भोलेनाथ से प्रार्थना की कि यदि उनके पति सकुशल लौट आए तो वे बैजनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराएंगे।
जब योगी ने बचाई मार्टिन की जान
भोलेनाथ ने उनकी बात मान ली। मार्टिन ने अपनी पत्नी को एक पत्र भेजा और पत्र में लिखा कि कैसे एक योगी ने उनकी जान बचाई। उसे अफगान सैनिकों ने पकड़ लिया और सोचा कि वह जीवित नहीं रहेगा। लेकिन उसी समय, वे कहते हैं, एक योगी त्रिशूल और शेर की खाल पहने वहां पहुंचे। उन्होंने अफगान सैनिकों को रोका और मेरी जान बचाई। अफगानों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा और अंग्रेजों ने लड़ाई जीत ली।
मंदिर का पुनर्निर्माण:
पत्र पढ़कर मार्टिन की पत्नी की आंखों में आंसू आ गए। वादे के अनुसार, मार्टिन और उनकी पत्नी ने मंदिर को 15,000 रुपये का दान दिया ताकि मंदिर का पुनर्निर्माण किया जा सके। तभी से दोनों भगवान शिव के भक्त बन गए। आज के समय में 15 हजार कोई बड़ी रकम नहीं है, लेकिन तब यह बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी।
