कुत्तों की स्वामीभक्ति के किस्सों का जिक्र इतिहास से लेकर वर्तमान तक होता है। अपनी मालिक पर जीते जी कभी आंच नहीं आने देते हैं कुत्ते। कुछ ऐसा ही सेना के ट्रेंड कुत्ते भी करते हैं। ट्रेनिंग के बाद वे ‘सैनिक’ बन जाते हैं। उनका लक्ष्य दुश्मनों की हर नापाक चाल को नाकामयाब करना है। कुछ ऐसा ही सैनिक जूम (Army dog Zoom) भी है। श्रीनगर में दो आतंकवादी नापाक इरादे के साथ घुस आए थे। सेना ने अपने भरोसेमंद सैनिक जूम को उन्हें ढूंढने का मिशन सौंपा। जूम ने बिना अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों पर हमला बोल दिया। जूम के हमले से घबराए आतंकियों ने उसे दो गोली मार दी। घायल होने के बाद भी जूम ने अपने देश के दुश्मनों को पकड़े रखा।

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों की गोली से घायल हुए आर्मी डॉग जूम की हालत गंभीर है। अगरे 24 से 48 घंटे नाजुक हैं और उसे श्रीनगर में आर्मी वेटरिनरी अस्पताल में मेडिकल टीम के क्लोज ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। सोमवार को अनंतनाग में सुरक्षाकर्मियों और आतंकियों के बीच हुए मुठभेड़ में जूम नाम का यह जर्मन शेफर्ड ब्रीड का डॉग घायल हो गया था। ऑपरेशन के दौरान उसे दो गोलियां मारी गईं लेकिन फिर भी वह आतंकियों से लोहा लेता रहा।

सैनिक ‘जूम’ की जांबाजी से आतंकी भी घबरा

इस ‘सैनिक’ की बहादुरी को सलाम

जूम की बहादुरी को सेना भी सलाम कर रही है। श्रीनगर के वेटरिनरी अस्पताल में जूम का इलाज चल रहा है। उसके पैर और मुंह में गोली लगी थी। अगले 24-48 घंटे बेहद अहम है। डॉक्टरों की एक टीम जूम के इलाज में जुटी है। जूम के पैर में फ्रैक्चर है और उसपर प्लास्टर किया जा चुका है। उसके चेहरे पर लगी गोली को निकालकर टांके लगाए गए हैं।

‘जूम’ के लिए दुआ करिए

जानकारी के मुताबिक, सुरक्षाबलों को रविवार देर रात दक्षिण कश्मीर जिले के तंगपावा इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। इसके बाद सेना ने अभियान शुरू किया। इस सर्च अभियान में सेना ने अपने लड़ाकू सिपाही जूम को भी उतारा था जो सेना का हमलावर डॉग है। अभी उसकी हालत नाजुक है।

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‘जूम’ की बहादुरी सुन फख्र करेंगे

जूम को उस घर को खाली करने का काम सौंपा गया था जहां आतंकी छिपे गए थे। बताया जा रहा है कि जूम उस घर के अंदर गया और आतंकियों पर हमला कर दिया। इस ऑपरेशन में उसे दो गोलियां लगीं और वह गंभीर रूप से घायल हो गया। सेना के प्रवक्ता ने बताया, ‘उसे उस घर में भेजा गया था जहां आतंकी ऑटोमेटिक हथियार से नागरिकों को निशाना बनाने जा रहे थे। यह आतंकियों का ध्यान भटकाने के लिए एक रणनीति थी ताकि नागरिकों को भागने का रास्ता मिल सके।’ जूम की बहादुरी के कारण ही दोनों आतंकियों को ढेर कर दिया गया।

10 महीने से सेना के साथ है ढाई साल का ‘जूम’

जूम ने आतंकियों के ऊपर छलांग लगा दी। इस दौरान उसे दो गोलियां मारी गईं लेकिन उसने आतंकियों को उनकी नानी याद करा दी। ढाई साल का जूम सेना के 15 कॉर्प्स की असॉल्ट यूनिट से पिछले 10 महीने से जुड़ा है। जूम के घायल होने की जानकारी देते हुए सेना के चिनार कॉर्प्स ने उसका एक वीडियो पोस्ट किया। इसमें दिख रहा है कि जूम को कैसे आतंकियों को ट्रैक करने और उनका शिकार करने के लिए प्रशिक्षित किया गया।

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