अकसर यही होता है कि पेरेंट्स अपने बच्चों की मार्कशीट दिखाकर फक्र महसूस करते हैं। लेकिन क्या कभी आपने ऐसा सुना है कि एक बेटे ने अपनी मां की मार्कशीट सबको दिखा कर फक्र महसूस किया हो! शायद आपका जवाब ना में होगा। LinkedIn पर एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर ने ख़ुश हो कर अपनी मां की मार्कशीट दुनिया को दिखाई है। एक 53 साल की महिला ने यह साबित कर दिखाया कि सीखने की कोई भी उम्र नहीं है। इस शख्स की मां ने 37 साल पहले स्कूल छोड़ा था और अब 53 साल की उम्र में 79% अंको से 10वीं पास की।

इंसान किसी भी उम्र में कुछ भी हासिल कर सकता है

मास्टरकार्ड में सीनियर सॉफ़्टवेयर इंजीनियर, प्रसाद जम्भाले (Prasad Jambhale) ने LinkedIn पर शेयर किया कि उसकी मां ने सेकेंडरी स्कूल सर्टिफ़िकेट (Secondary School Certificate, SSC) पास कर लिया है कल्पना नाम की इस महिला ने एक बार फिर से ये साबित कर दिया कि कोई भी इंसान किसी भी उम्र में हर चीज हासिल कर सकता है। हमारी उम्र तो सिर्फ़ एक संख्या ही है, लेकिन हमारा धैर्य और मेहनत से हमें कहीं भी पहुंच सकता है।

भाई-बहनों को पढ़ाने के लिए छोडी स्कूल की पढ़ाई

कल्पना 16 साल की थी तब उनके पिता की मौत हो गई और परिवार पर समस्याओं का पहाड़ टूट पड़ा। उस बाद कल्पना ने भाई-बहनों को पढ़ाने के लिए स्कूल की पढ़ाई छोड़ कर नौकरी शुरू की थी। पिछले की साल की बात है जब कल्पना किसी काम से एक सरकारी स्कूल गईं थी। वहीं पर उन्हें एक टीचर ने बताया कि एक सरकारी स्कीम के तहत वे अपनी SSC (10वीं) की परीक्षा दोबारा दे सकती हैं। ऑनलाइन ट्रेनिंग, ऑफ़लाइन, और किताबें आदि सभी का खर्चा सरकार द्वारा ही उठाया जाएगा।

किसी को बिना बताओ दोबारा पढ़ाई शुरू की

उस बाद कल्पना ने अपनी पढ़ाई के बारे में बिना किसी को बताए दिसंबर 2021 में एक बार फिर स्कूल जाना शुरू किया। उनके बेटे प्रसाद आयरलैंड में रहते हैं और उन्हें ये बात बहुत बाद में पता चली। प्रसाद की शादी के ठीक बाद कल्पना की परिक्षाएं थी। प्रसाद ने आगे लिखा कि एक ही छत के नीचे रह रहे उनके भाई और पिता को भी एक महीने तक मालूम नहीं था कि कल्पना दोबारा स्कूल जा रही है।

कल्पना अपनी पढ़ाई छूटने के सालों बाद भी बड़े ही आसानी से सारे चैप्टर्स और सब्जेक्ट्स पढ़ती थी। प्रसाद कहते हैं कि वे एलजेबरा और इंग्लिश में काफी कमाल थीं। प्रसाद की शादी फरवरी में थी और वहीं कल्पना की परिक्षाएं मार्च में और इसके बावजूद उन्होंने पूरे जोश से दोनों की ही तैयारियां की थी। कल्पना ने न सिर्फ़ 10वीं पास की बल्कि 79% अंक भी प्राप्त किए हैं।

प्रसाद लिखते हैं कि उन्हें उनकी मां पर गर्व है। इस कहानी पर “भारत एक नई सोच” भी कल्पना जैसी महिला को सलाम करता है।

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