रियलिटी कॉमेडी शो ‘इंडियाज लाफ्टर चैंपियन’ सोनी एंटरटेनमेंट पर 11 जून से शुरू हो चुका है। इसमें देशभर से 50 प्रतिभागियों को चुनकर लाया गया है। इस शो को अर्चना पूरण सिंह और शेखर सुमन जज कर रहे हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में शेखर सुमन ने इस शो से जुड़ी कई सारी बातें शेयर की हैं।
सबसे पहले शो के कॉन्सेप्ट के बारे में बताइए?
यह एक रियलिटी कॉमेडी शो है। इसमें देशभर से तमाम प्रतिभागियों के बीच से चुनकर इसमें 50 प्रतिभागी सिलेक्ट हुए हैं। अब इनके बीच जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा होगी, जो आखिर तक पहुंचेगा वह ‘इंडियाज लाफ्टर चैंपियन’ का प्रथम विजेता होगा। हां, देशभर से 50 प्रतिभागियों को चुनकर चैनल और प्रोड्यूसर ने हमारा काम आसान कर दिया वरना वहां भी हमें बैठना पड़ता। खैर, अब ये 50 प्रतिभागी हमारे सामने परफॉर्म करेंगे और इन्हें हम सिलेक्ट करके आगे भेजेंगे।
बदलते दौर के साथ कॉमेडी को किस तरह से बदले स्वरूप में देखते हैं?
बदलते जमाने की सोच बदलती रहती है। कल जो था, वह आज नहीं है और आज जो है, वह कल नहीं रहेगा। जमाना आगे बढ़ रहा है तो सोच भी आगे बढ़ रही है। इस तरह से खयालात बदल रहे हैं, लोगों की जबान बदल रही है, ग्रामर बदल रहा है, मीडियम बदल रहा है। इस तरह से शो में जो प्रतिभागी आए हैं, वे नई सोच के साथ आए हैं, नए किस्म का ह्यूमर लेकर आए हैं। जो कल तक और रूप में था, आज अलग रूप में है। जिस तरह से वही क्रिकेट खेल रहे हैं, पर टेक्निक नई आ गई है। कुछ इसी तरह से कॉमेडी वही है, पर बयां करने का अंदाज बदल गया है।
आप प्रतिभागियों को जज करते हैं, खुद के काम को किस तरह से जज करते हैं?
मेरे खुद के काम को दर्शक जज करते हैं। हम खुद के काम को जज नहीं कर सकते। हां, एसेस कर सकते हैं कि कहां बेहतर हैं और कहां खामियां हैं। खामियों को कैसे बेहतर बना सकते हैं। यह एक सेल्फ एसेसमेंट होता है, जो अपने आप करते चले जाएं। लोगों से पूछें कि मुझमें कहां कमियां, खामियां हैं, जिसे दूर कर बेहतर हो सकता हूं।
प्रतिभागी जब आपके ऊपर जोक मारते हैं, तब उसे किस तरह से लेते हैं?
अगर हेल्दी ह्यूमर है, जो आपत्तिजनक नहीं है, अपमानजनक नहीं है, तब तो बिल्कुल सही है। अगर कोई निजी मामलों पर दखलंदाजी करे, तब वह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा या वह अलाऊ नहीं किया जाएगा, कम से कम यह मेरे हिसाब से। यह एक हिदायत है कि पर्सनल कमेंट कुछ नहीं हों। अगर हों, तब वह इस तरह से हों कि सबको मजा आए। ऐसा न हो कि कुछ अपमानित करने के हिसाब से बोला जाए। अगर लोगों को छूट दीजिए, उन्हें उंगली पकड़ाइए, तब पहुंचा पकड़ लेते हैं और फिर गिरेबांह पकड़ लेते हैं, आपके सिर पर भी चढ़ जाते हैं। उनको रोकना बहुत जरूरी है।
इस शो के बारे में और क्या कहना चाहेंगे?
इस शो के बारे में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि जैसे टेलीविजन पर कुछ चीजें आती हैं, वह पारिवारिक हो जाती हैं। यह ओटीटी प्लेटफॉर्म की तरह नहीं है। वह इंडिविजुअल प्लेटफॉर्म है। इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी भी अलाऊ है, लोग वहां जाकर देख सकते हैं। वह उनका निजी मामला है। लेकिन टेलीविजन पर जाते हैं, तब यहां पर सेंसरशिप हो जाता है और वह होना जरूरी भी है, क्योंकि परिवार एक साथ बैठकर देखता है। यहां मर्यादा का खयाल रखना बहुत जरूरी है। हां, मर्यादा से बाहर जाना चाहें, तब आपके लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म है। आपको जो मर्जी हो, वहां पर देखें। इसका खासतौर पर खयाल रखा गया है कि ओटीटी की बात इसमें न आ जाए। ओटीटी इसलिए बना भी है कि वे चीजें टेलीविजन पर नहीं आ सकती थीं, जिससे वह प्लेटफार्म क्रिएट किया गया है। गाली-गलौज और इस तरह की बातें जब हम पार्टी में होते हैं, तब वहां होती हैं और हम वहां उसे इंजॉय करते हैं। लेकिन वे चीजें टेलीविजन पर नहीं आ सकती। उनका खयाल रखना बहुत जरूरी हो गया है।