अगर कोई करोड़ों की नौकरी छोड़ गांव आकर व्यापार शुरू करिए चाहे तो स्वाभाविक है कि दुनिया उसे पागल ही कहेगी। कोई उसका उस कार्य में समर्थन नहीं करेगा। लेकिन ऐसा किया अलीगढ़ के अभिषेक गोस्वामी ने। अमेरिका में अभिनव की सिर्फ नौकरी नहीं लगी थी बल्कि उन्हें वहां का ग्रीन कार्ड भी प्राप्त था लेकिन इन सब से मोह त्याग कर उन्होंने अपने पैतृक गांव में गौशाला और गुरुकुल खोलने का मन बना लिया और 1 करोड़ 95 लाख रुपए की सालाना पैकेज वाली नौकरी को त्याग दिया।
अभिनव का जन्म अलीगढ़ के खैर तहसील के जरारा गांव में हुआ था। उन्होंने 1997 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएससी किया है. शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कॉर्पोरेशन जगत में देश- विदेश की कई बड़ी कम्पनियों में काम किया। वह 10 वर्षों तक अमेरिका में रहे और विश्व की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल में बताओ और डाटा एनालिस्ट के रूप में काम किया। उन्हें अमेरिका का ग्रीन कार्ड भी प्राप्त हो चुका था जिसके तहत हुआ जब तक चाहते अमेरिका में रहते। लेकिन किसी व्यक्ति का इतनी अच्छी पैकेज वाली नौकरी से भी मोहभंग हो जाए ऐसा शायद ही होगा लेकिन अभिनव के साथ ऐसा हो गया।
अभिनव जब अमेरिका से लौटे उनके पास गांव के बच्चों के बेहतर विकास के लिए एक विजन था। चूंकि, अभिनव की पढ़ाई एक सांस्कृतिक वातावरण में हुई थी तो इसका 11 प्रभाव उनके जीवन में था इसलिए उन्हें अमेरिका जैसे देश में हाई-फाई नौकरी भी रास नहीं आई। पैतृक गांव लौटने पर उन्होंने गांव और आसपास के गांव के बच्चों के लिए अपनी मूल शिक्षा पद्धति संस्कृत के तहत बच्चों का शैक्षणिक विकास करने का मन बनाया और उसे पूरा करने में लग गए। दिन रात मेहनत कर उन्होंने अपने सपने को पूरा किया और पूरी दुनिया में 108 गुरुकुलों का निर्माण कराया। अभिनव का कहना है कि उनका उद्देश्य बच्चों को सिर्फ प्राचीन भारतीय सभ्यता से परिपूर्ण करना नहीं बल्कि उन्हें इस योग्य बनाना है की वे किससे के अधीन नौकरी करने की वजह दूसरों को नौकरी दे सकें।
पढ़ाई के साथ में जैविक खेती और गौशाला भी है गुरुकुल में
अभिनव ने जहां-जहां गुरुकुल शुरू किए हैं वहां बच्चों को सिर्फ प्राचीन वैदिक शिक्षा से ही नहीं जोड़ा है बल्कि उन्हें जैविक खेती और गायों की सेवा करने की शिक्षा भी उपलब्ध कराते हैं। अभिनव के अनुसार, इस पीढ़ी के हाथ में देश का भविष्य लिखा है और अगर यह पीढ़ी अपनी मूल सभ्यताओं और वैदिक शिक्षकों से दूर हो जाएगी तो फिर भारत विकास के उस रास्ते पर नहीं हो पाएगा जहां हजारों साल पहले था।
गोस्वामी ने बताया कि अमेरिका के कैलीफोर्निया में मकान लेने के दौरान रामायण का अंखड पाठ शुरू कराया। इसी दौरान विदेश के वैभव से विरक्ति हो गई। पत्नी प्रतिभा और दोनों बच्चों को समझाया तो सब राजी हो गए। गांव आते ही अपनी माटी के बच्चों के लिए काम करना शुरू कर दिया।